विस्मय की घड़ी हो,या खुशी का मंजर निश्छल बन, बिना किसी स्वार्थ के आगे बढ़ना । विस्मय की घड़ी हो,या खुशी का मंजर निश्छल बन, बिना किसी स्वार्थ के आगे बढ़ना ।
हर लम्हा बीत जाता है तभी तो जरा सी देर में मंज़र बदल जाता है। हर लम्हा बीत जाता है तभी तो जरा सी देर में मंज़र बदल जाता है।
हमारा दिल एक दिन दृढ़ हो जाता है। हमारा दिल एक दिन दृढ़ हो जाता है।
तो पिता से जीवन जीने का नाम संग दृढ़ आधार मिलता है। तो पिता से जीवन जीने का नाम संग दृढ़ आधार मिलता है।
अपने लिए हम ही तो हैं जग में ही सबसे ही खास। अपने लिए हम ही तो हैं जग में ही सबसे ही खास।
बिना अपेक्षा लिए हुए मन में करते जाएं काम, की जो अपेक्षा हुई न पूरी तो खो जाएगा आराम। बिना अपेक्षा लिए हुए मन में करते जाएं काम, की जो अपेक्षा हुई न पूरी तो खो जाए...